Mahashivaratri: क्यों विचित्र है Lord Shiva का स्वरूप, जानें पूरा सच | BoldSky

2018-02-07 34

Lord Shiva is the God of universe. His looks symbolises nature. From head to toe he describes that everything is controlled by Shiva and nothing comes beyond his reach. Devotees should pray him to gain positivity and to stay calm in every situation. As per hindu mythology, Lord shiva is a part of trinity of brahma, vishnu, mahesh and is associated with moksha which is relief from the cycle of birth and death. He is actually taking us away from illusionary world and making us realise who we are and what is our true purpose of existence.


भगवान शिव का स्वरूप जितना विचित्र - विकराल है, उतना ही आकर्षक भी...उनका संपूर्ण शरीर प्रकृति को दर्शाता है...आइए आपको उनके विस्तृत रूप का व्यापक अर्थ बताते है..
भगवान शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं, वहीं चंद्रमा मन का प्रतीक ह..प्रभू का मन चांद की तरह भोला, निर्मल, उज्ज्वल और जाग्रत है। शिव की तीन आंखें हैं..इसीलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं। शिव की ये आंखें सत्व, रज, तम (तीन गुणों), भूत, वर्तमान, भविष्य (तीन कालों), स्वर्ग, मृत्यु, पाताल (तीनों लोकों) का प्रतीक हैं। सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है..सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है, जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है।अपने हाथ में त्रिशूल धारण कर शिव भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक इन तीनों तापों को नष्ट करते है। शिव के एक हाथ में डमरू है, जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं..डमरू का नाद ही ब्रह्मा रूप है। उनके गले में मुंडमाला है, जो इस बात का प्रतीक है कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है...शरीर पर व्याघ्र चर्म यानी बाघ की खाल पहनी हुई है.. व्याघ्र हिंसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है..इसका अर्थ है कि शिव ने हिंसा और अहंकार का दमन कर उसे अपने नीचे दबा लिया है। शिव के संपूर्ण शरीर पर भस्म लिप्त होता है..शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है.. भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है..नागेश्वर का वाहन वृषभ यानी बैल धर्म का प्रतीक है। महादेव इस चार पैर वाले जानवर की सवारी करते हैं, जो दर्शाता है कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं। इस तरह शिव-स्वरूप हमें बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है, महिमा अपरंपार है। उनमें ही सारी सृष्टि समाई हुई है।

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